मुझमें क्या है, मेरे अंदर देख ज़रा ।
प्यासा –प्यासा एक समंदर देख ज़रा ।
कल जो सीना –बाहें ताने फिरता था,
हार गया वह एक सिकंदर देख ज़रा ।
प्यार-मुहब्बत के जो नग़में गाता था,
रोता है वह मस्त कलंदर देख ज़रा ।
तेरा शायर फूलों से भी नाज़ुक था ,
उसके सीने में है ख़ंजर देख ज़रा ।
जिस माली ने तेरा गुलशन सींचा है,
उसकी बर्बादी का मंज़र देख ज़रा ।
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By- www.srijangatha.com
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