Thursday, August 10, 2006

बीती बात

मुझसे बीती बात न पूछो !
महाप्रलय में तटबंधों से
लहरों के आघात न पूछो !

मैं तो मौन खड़ा था पथ में, निर्भय हो सदियों से,
मनोयोग से मन का रिश्ता जोड़ा था नदियों से ।
धीरे-धीरे मेरा ढहना, ऊपर से बरसात न पूछो ।


मेरी सीमाओं के भीतर वह कल तक बहती थी,
अंतर्मन की सारी बातें, निश्छल ही कहती थी।
अब वह बंधन तोड़ रही है, उनका यह दुर्घात न पूछो ।

आदि-अंत का साथ सनातन छोड़ रही है ऐसे,
प्राण अकेला छोड़ रहा हो ,बूढ़े तन को जैसे ।
लहर-लहर बहकर करती है, मुझ पर जो प्रतिघात न पूछो ।

मुझसे बीती बात न पूछो !
महाप्रलय में तटबंधों से
लहरों के आधात न पूछो ।



***********************
By- www.srijangatha.com
***********************

No comments: