Thursday, August 10, 2006

स्वारथ

स्वारथ

स्वारथ के सब रिश्ते-नाते,
स्वारथ का सब खेल है बाबा,
जलती है दियने की बाती
जब तक उसमें तेल है बाबा ।

चीटों जैसे लोग जुटेंगे,
तेरे आँगन ड्योढी पर,
हाथों में तेरे माया है,
तब तक रेलमपेल है बाबा ।

उम्र क़ैद की सज़ा मिली है,
बिना किन्हीं अपराधों के
मरने पर ही मुक्त करेगी,
दुनिया ऐसी जेल है बाबा ।

चिंता का पथ चले चिता तक,
और धुआँ है दिशा-दिशा,
एक तृषा का अग्नि-कुण्ड से,
कैसा अद्भुत मेल है बाबा ।

तुझसे जन्मा, तेरा खाया ,
तुझको ही अवधार्य किया,
वह करता है सदा अमंगल,
करनी यह बेमेल है बाबा ।



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By- www.srijangatha.com
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